SGB से सरकार को घाटा – क्या निवेश करना सही?

Sovereign Gold Bond

Sovereign Gold Bond (SGB) योजना 2015 में सरकार द्वारा लॉन्च की गई थी, ताकि लोगों को भौतिक सोने की खरीदारी से हटा कर डिजिटल सोने में निवेश करने की ओर आकर्षित किया जा सके। इसमें निवेशकों को सोने की कीमत में वृद्धि के साथ 2.5% वार्षिक ब्याज का लाभ भी मिलता है।

हालांकि, 2025 तक सोने की कीमतों में भारी वृद्धि ने सरकार के लिए SGB योजना घाटे का सौदा बना दिया है। इस पोस्ट में हम समझेंगे कि SGB क्या है, सरकार को इससे घाटा क्यों हो रहा है, और लंबे समय में निवेशकों के लिए इसके फायदे और नुकसान क्या हो सकते हैं।

SGB क्या है?

Sovereign Gold Bond (SGB) भारत सरकार की एक योजना है, जिसमें लोग सोने में निवेश कर सकते हैं, लेकिन फिजिकल गोल्ड (सामान्य सोना) खरीदने की जगह, डिजिटल रूप में गोल्ड बांड खरीदते हैं। यह रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा जारी किए जाते हैं। SGB के जरिए निवेशकों को फिजिकल गोल्ड खरीदने की जरूरत नहीं होती, जिससे सुरक्षा और शुद्धता की चिंता खत्म हो जाती है। SGB एक सरकारी बॉन्ड है, जिसे सोने के बाजार मूल्य के अनुसार डिज़ाइन किया गया है। इसमें निवेशकों को:

  • सोने की कीमत में वृद्धि का लाभ मिलता है।
  • 2.5% वार्षिक ब्याज प्रदान किया जाता है।
  • डिजिटल फॉर्म में रखने से भंडारण का खर्चा नहीं होता।
  • बॉन्ड की अवधि 8 साल होती है, लेकिन 5 साल बाद इसे बेचने का विकल्प भी मिलता है।

इस योजना का उद्देश्य है कि लोग सोने में फिजिकल निवेश कम करें और सरकार की आयात निर्भरता को कम किया जा सके। SGB खरीदने से आपको सोने के बढ़ते मूल्य का लाभ तो मिलता ही है, साथ में हर साल 2.5% का निश्चित ब्याज भी दिया जाता है।

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SGB से सरकार को घाटा कैसे हो रहा है?

हाल ही में सामने आया है कि सरकार को SGB से घाटा हो रहा है। इस घाटे की मुख्य वजहें हैं:

जब SGB योजना शुरू की गई थी, तब सोने की कीमत ₹2,684 प्रति ग्राम थी। लेकिन 2025 तक यह बढ़कर ₹7,800 प्रति ग्राम हो गई। इससे सरकार को भारी नुकसान हुआ| इस घाटे की मुख्य वजहें हैं:

  • सोने की कीमत में वृद्धि: सरकार ने शुरुआती कीमत पर बॉन्ड जारी किए थे, लेकिन बढ़ती कीमतों के कारण उसे ज्यादा भुगतान करना पड़ रहा है।
  • 2.5% ब्याज का बोझ: निवेशकों को ब्याज देना भी सरकार के लिए एक अतिरिक्त वित्तीय बोझ बन गया।
  • घटती मांग: फिजिकल गोल्ड की तुलना में SGB के प्रति लोगों की रुचि अपेक्षा से कम रही, जिससे योजना के मूल उद्देश्य को पूरी तरह से सफलता नहीं मिली।
  • लोगों का ज्यादा रिडेम्पशन: जब सोने की कीमतें बढ़ती हैं, तो लोग अपने बांड रिडीम करते हैं, जिससे सरकार को नुकसान उठाना पड़ता है।

इन सब कारणों की वजह से सरकार पर भी दबाव बढ़ रहा है।

SGB के फायदे

  • ब्याज का लाभ: हर साल 2.5% का निश्चित ब्याज मिलता है, जो फिजिकल गोल्ड में नहीं मिलता।
  • सोने की बढ़ती कीमत: सोने की कीमत बढ़ने पर आपको इसका पूरा फायदा मिलता है।
  • सुरक्षित निवेश: SGB में निवेश पूरी तरह से सुरक्षित है क्योंकि इसे सरकार द्वारा गारंटी दी जाती है।
  • टैक्स में छूट: अगर आप मेच्योरिटी तक बांड होल्ड करते हैं, तो कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता।
  • फिजिकल गोल्ड के झंझट से मुक्ति: SGB में स्टोरेज और चोरी का खतरा नहीं रहता।

SGB के नुकसान

  • लिक्विडिटी की कमी: अगर आपको पैसे की जरूरत है, तो इसे तुरंत बेचना मुश्किल हो सकता है।
  • बाजार में उतार-चढ़ाव: सोने की कीमत में गिरावट होने पर आपका निवेश प्रभावित हो सकता है।
  • लंबी लॉक-इन अवधि: SGB की अवधि 8 साल होती है, जो कुछ निवेशकों के लिए असुविधाजनक हो सकती है।
  • बाजार दर से कम मूल्य: अगर आप बाजार से पहले इसे बेचते हैं, तो आपको कम मूल्य मिल सकता है।

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क्या SGB में निवेश करना सही है?

SGB उन निवेशकों के लिए एक अच्छा विकल्प है, जो लंबे समय तक निवेश करना चाहते हैं और सोने की कीमत में बढ़ोतरी का फायदा लेना चाहते हैं। यह फिजिकल गोल्ड से बेहतर विकल्प है क्योंकि इसमें ब्याज का लाभ मिलता है और टैक्स छूट भी है।

हालांकि, अगर आपको जल्दी पैसे की जरूरत पड़ सकती है या आप बाजार के उतार-चढ़ाव को लेकर चिंतित हैं, तो SGB आपके लिए उपयुक्त विकल्प नहीं हो सकता।

सवाल-जवाब

SGB क्या है?

SGB भारत सरकार द्वारा जारी गोल्ड बॉन्ड है, जिसमें सोने में निवेश का लाभ ब्याज और सुरक्षा के साथ मिलता है।

SGB से सरकार को घाटा क्यों हो रहा है?

सोने की कीमतें बढ़ने और 2.5% सालाना ब्याज भुगतान के कारण सरकार को नुकसान हो रहा है।

SGB में निवेश के फायदे क्या हैं?

टैक्स छूट, 2.5% ब्याज, और चोरी/मिलावट से सुरक्षा।

SGB लंबी अवधि के लिए सही क्यों है?

इसमें सोने की बढ़ती कीमत का फायदा मिलता है, और यह 8 साल के लिए सुरक्षित निवेश है।

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