Trump Tariffs का असर: भारत को फायदा या नुकसान?

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अमेरिका और भारत के बीच व्यापार संबंध हमेशा से ही मजबूत रहे हैं, लेकिन Donald Trump की नई व्यापार नीति ने इन रिश्तों में नई चुनौती पेश कर दी है।

बुधवार सुबह 9:30 बजे से Donald Trump का 26% टैरिफ भारतीय सामान पर लागू हो गया। यह टैरिफ उनकी “Make America Wealthy Again” नीति का हिस्सा है, जिसे Unfair Trade Practices को खत्म करने के लिए लागू किया गया है।

लेकिन सवाल यह है कि इसका भारत पर क्या असर होगा?

Donald Trump Tariff क्या है?

Trump प्रशासन ने एक दो-स्तरीय योजना के तहत यह टैरिफ लागू किया है:

  • 10% बेसलाइन टैरिफ: यह टैरिफ अमेरिका में सभी देशों से आयातित वस्तुओं पर 5 अप्रैल से लागू किया गया।
  • 26% ऊंचा टैरिफ: 9 अप्रैल से यह Indian Goods और कुछ Specific Products पर लागू किया गया।

Trump ने भारत को “बहुत कठिन” (Very, Very Tough) व्यापार भागीदार कहा और आरोप लगाया कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर 52% शुल्क लगाता है जबकि अमेरिका भारतीय उत्पादों पर “लगभग कुछ भी नहीं” लगाता।

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1. भारतीय Pharma Sector पर असर

Trump ने Pharmaceutical Sector पर भी Tariffs की संभावना जताई, जिससे भारतीय फार्मा कंपनियों के शेयर में गिरावट आई।

  • Gland Pharma के शेयर 6% गिरकर Rs 1,340 तक पहुंच गए।
  • Aurobindo Pharma और Dr. Reddy’s Laboratories के शेयर क्रमशः 5% और 4.2% तक नीचे गए।

2. Stock Market में गिरावट

बुधवार को Global Trade Tensions के कारण भारतीय बाजार में भी गिरावट देखी गई:

  • Bse Sensex 403 अंक गिरकर 73,823 पर बंद हुआ।
  • Nifty50 146 अंक गिरकर 22,389 पर पहुंचा।

3. Exporters पर दबाव

भारतीय उद्योगों, खासकर जो Us को Export करते हैं, पर इस टैरिफ का सीधा असर पड़ेगा।

  • 2024 में, भारत ने अमेरिका को $81 Billion का Export किया, जबकि Import सिर्फ $44 Billion का था।
  • यह टैरिफ भारत के $37 Billion के Trade Surplus को प्रभावित कर सकता है।

4. घरेलू उद्योगों को नुकसान

भारत का Ministry Of Commerce And Industry इस स्थिति से निपटने के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहा है। लेकिन, Tariff Imbalance और Non-Tariff Barriers की वजह से Indian Goods की प्रतिस्पर्धा घट सकती है।

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Trump Tariff के फायदे क्या है?

हालांकि नुकसान साफ दिखता है, भारत ने इसे संभालने के लिए कुछ सकारात्मक कदम उठाए हैं:

  • Tariff Cuts Offer: भारत ने $23 Billion के अमेरिकी उत्पादों पर 50% तक Tariff कटौती की पेशकश की है। यह एक बड़ा कदम है Trade Tensions को कम करने की दिशा में।
  • Bilateral Trade Growth: 2024 में $124 Billion के Bilateral Trade ने यह दिखाया कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक संभावनाएं अभी भी मजबूत हैं।

Donald Trump का यह टैरिफ Short-Term में Indian Economy के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। खासकर Pharma, It, और Textile जैसे Export-Heavy Industries पर इसका असर होगा। लेकिन, लंबे समय में, यह भारत को अपने घरेलू उद्योगों को मजबूत करने का एक अवसर भी दे सकता है।

भारत कैसे करेगा Tariff का सामना?

Donald Trump के 26% टैरिफ ने भारत के लिए एक नई चुनौती का द्वार खोला है। यह टैरिफ केवल व्यापारिक बाधा नहीं है, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था और उद्योगों के लिए अपनी ताकत और कमजोरियों को समझने का एक अवसर भी है।

भारत को अपने व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करने की जरूरत है। अमेरिका और भारत के बीच व्यापार संबंध लंबे समय से अच्छे रहे हैं, लेकिन यह टैरिफ एक याद दिलाने वाला संकेत है कि भारत को अपने व्यापारिक साझेदारों के साथ संतुलन और बेहतर रणनीति बनानी होगी।

ज़रूरी है कि भारत का व्यापारिक अधिशेष (ट्रेड सरप्लस) सिर्फ संख्या तक सीमित न हो, बल्कि उत्पादों की गुणवत्ता को भी अच्छा करें।

यह चुनौती एक मौका है कि भारत अपने घरेलू उद्योगों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करें। भारतीय उद्योगों को नई तकनीकें अपनानी होंगी और निर्यात में विविधता लानी होगी। साथ ही, नए बाज़ारों की खोज करना भी ज़रूरी होगा।

इस टैरिफ से भारत सीख लेकर अपनी अर्थव्यवस्था को और मजबूत और विविध बना सकता है। यह सही समय है कि सरकार और उद्योग मिलकर इस चुनौती को एक अवसर में बदलें।

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सवाल-जवाब

क्या यह टैरिफ स्थायी रहेगा?

यह इस बात पर निर्भर करता है कि दोनों देश किस हद तक Trade Diplomacy के जरिए अपने मुद्दे सुलझाते हैं।

क्या भारत को अपना Trade Surplus बचाने का मौका मिलेगा?

हाँ, अगर भारत Tariff Imbalance को सही करने के लिए ठोस कदम उठाता है।

क्या आम उपभोक्ता पर इसका असर होगा?

घरेलू बाजार में कीमतें बढ़ सकती हैं, खासकर Imported Goods की।

क्या भारत को अमेरिका के इस टैरिफ के बाद अन्य देशों के साथ अपने व्यापार पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए?

हाँ, बिलकुल। भारत को केवल अमेरिका पर निर्भर रहने के बजाय यूरोप, एशिया और अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में नए व्यापारिक अवसर तलाशने चाहिए। यह भारत को वैश्विक बाजार में स्थिरता और मजबूती देगा।

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