भारत में एलपीजी (LPG) यानी लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस एक अहम घरेलू ईंधन बन चुका है, खासकर महिलाओं के लिए ये रसोई में राहत लेकर आया है। लेकिन हाल के वर्षों में LPG सब्सिडी को लेकर कई बदलाव हुए हैं।
लोग यह पूछने लगे हैं – “क्या सरकार LPG सब्सिडी पूरी तरह से बंद कर रही है?” इस लेख में हम इसी सवाल का जवाब देंगे, साथ ही जानेंगे कि सरकार की योजनाएं क्या हैं और आम आदमी पर इसका क्या असर पड़ रहा है।
LPG सब्सिडी क्या है?
LPG सब्सिडी एक सरकारी आर्थिक सहायता है जो घरेलू उपभोक्ताओं को रसोई गैस (LPG – Liquefied Petroleum Gas) खरीदने में मदद करने के लिए दी जाती है। इसका मकसद यह है कि गरीब और मध्यम वर्ग के लोग भी साफ-सुथरा और सुरक्षित ईंधन आसानी से इस्तेमाल कर सकें। सरकार हर सिलेंडर पर एक निश्चित राशि की सब्सिडी देती है जिससे सिलेंडर की कीमत कम हो जाती है।
उदाहरण के लिए, अगर एक 14.2 किलो का LPG सिलेंडर मार्केट प्राइस पर ₹800 का है और सरकार ₹300 की सब्सिडी देती है, तो ग्राहक को सिर्फ ₹500 देना होता है। बाकी ₹300 सीधे सरकार की ओर से ग्राहक के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं।
LPG सब्सिडी कैसे दी जाती है?
LPG सब्सिडी पाने के लिए सरकार ने PAHAL DBT (Direct Benefit Transfer) स्कीम शुरू की है।
सरकार ने 2015 में PAHAL (Pratyaksh Hastantarit Labh) योजना की शुरुआत की थी। यह योजना Ministry of Petroleum & Natural Gas द्वारा शुरू की गई थी।
इस स्कीम के तहत, उपभोक्ताओं को सब्सिडी सीधे उनके बैंक खाते में भेजी जाती है। इसका तरीका निम्नलिखित है:
कैसे काम करती है योजना:
- उपभोक्ता बाजार मूल्य पर सिलेंडर खरीदता है।
- सब्सिडी की राशि उसके बैंक अकाउंट में सीधे ट्रांसफर हो जाती है। इसमें दो तरीके हैं:
- आधार ट्रांसफर मोड
- बैंक ट्रांसफर मोड (अगर आधार लिंक न हो)
2025 तक 30.19 करोड़ उपभोक्ता इस योजना से जुड़े हैं और सरकार ने 1.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की सब्सिडी बचाई है।
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सब्सिडी का उद्देश्य क्या है?
- गरीब और जरूरतमंद परिवारों को राहत देना।
- पुराने ईंधनों (जैसे लकड़ी, गोबर) पर निर्भरता कम करना।
- साफ ईंधन को बढ़ावा देना।
- पारदर्शिता लाना और बिचौलियों को हटाना।
- फर्जी कनेक्शन और डुप्लीकेट उपभोक्ताओं को हटाना।
क्या सबको मिलती है सब्सिडी?
नहीं। जो लोग आर्थिक रूप से सक्षम हैं, उन्हें सरकार ने “Give It Up” अभियान के तहत अपनी सब्सिडी छोड़ने के लिए प्रेरित किया है। अब तक करीब 1.15 करोड़ लोगों ने अपनी LPG सब्सिडी स्वेच्छा से छोड़ दी है ताकि वह जरूरतमंद लोगों को दी जा सके।
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Give It Up अभियान क्या है?
2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Give It Up अभियान लॉन्च किया। इसका मकसद था कि जो लोग सब्सिडी के बिना सिलेंडर खरीद सकते हैं, वे अपनी LPG सब्सिडी छोड़ दें ताकि गरीबों को इसका लाभ मिल सके।
- पहले साल में 1 करोड़ से ज्यादा लोगों ने सब्सिडी छोड़ी।
- दिसंबर 2024 तक यह संख्या बढ़कर 1.15 करोड़ हो गई, जो कुल LPG उपभोक्ताओं का लगभग 3.5% है।
फिर भी LPG अपनाने में रुकावट क्यों है?
Refill महंगा है – उज्ज्वला लाभार्थियों को एक सिलेंडर ₹503 में मिलता है (सब्सिडी के बाद), लेकिन ये कीमत भी कई गरीब परिवारों के लिए भारी है।
कम रिफिलिंग रेट – उज्ज्वला परिवार साल में औसतन 3.95 बार सिलेंडर रिफिल करवाते हैं, जबकि नॉन-उज्ज्वला उपभोक्ता 6 से अधिक बार।
क्या वाकई LPG सब्सिडी बंद हो रही है?
नहीं, सरकार ने सब्सिडी बंद नहीं की है, बल्कि इसे Targeted Subsidy बना दिया और उसे सही हाथों तक पहुंचाने की कोशिश की है। यानी जिनको वाकई ज़रूरत है, उन्हें ही सब्सिडी मिलेगी। Give It Up अभियान इसका उदाहरण है। जो लोग सक्षम हैं, उनसे सब्सिडी लेने की उम्मीद की जाती है।
उज्ज्वला योजना और PAHAL जैसे अभियान ने करोड़ों लोगों को रसोई का ईंधन मुहैया कराया है। हालांकि अब भी कुछ चुनौतियाँ हैं – जैसे रिफिल की लागत और जागरूकता की कमी। लेकिन अगर नीति सही दिशा में चले और लोगों को सही जानकारी मिले, तो LPG सब्सिडी का फायदा हर ज़रूरतमंद तक पहुंच सकता है।
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सवाल-जवाब
नहीं, सरकार ने सब्सिडी बंद नहीं की है, बल्कि उसे लक्षित (Targeted) बना दिया है, जिससे केवल ज़रूरतमंदों को ही सब्सिडी मिले।
उन्हें ₹300 प्रति सिलेंडर की सब्सिडी दी जा रही है। यानी 14.2 kg सिलेंडर ₹503 में मिल रहा है।
हां, अगर आपने Give It Up अभियान के तहत सब्सिडी छोड़ी थी और अब ज़रूरत है, तो आप इसे फिर से शुरू करवाने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
नहीं, अब सब्सिडी केवल उन लोगों को दी जा रही है जो प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत लाभार्थी हैं या फिर पात्र हैं।